Menu
blogid : 22944 postid : 1133917

स्‍वच्‍छता हमारा व्‍यवहार होना चाहिए ।

samras
samras
  • 23 Posts
  • 1 Comment

स्‍वच्‍छता हमारा व्‍यवहार होना चाहिए।

स्‍वच्‍छता का विचार आते ही हमारा मन व्‍यथित होने लगता है, हर तरफ कचरा तथा हर तरफ गंदगी का साम्राज्‍य । आदिकाल से ही मानव ने अपने आसपास स्‍वच्‍छता रखी किंतु जैसे जैसे हम सभ्‍यता के दौर में आगे बढ़ते गए, हमारे व्‍यवहार में कमी आती गई और हम आलसी होते गए । कहा भी गया है कि जहॉं स्‍वच्‍छता होती है वहॉं देवताओं का वास होता है । स्‍वच्‍छता प्रारंभ से ही मानवीय स्‍वभाव में है लेकिन आज के भागते हुए दौर में हमने स्‍वच्‍छता से मुँह मोड़ लिया और यही कारण है कि पूरे देश में चाहे रलवे लाइन का किनारा हो, स्‍टेशन हो, ट्रेन हो, बस हो गॉंव हों या शहर हों सभी जगह प्राय: गंदगी का अम्‍बार मिल ही जाएगा ।

हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्रीजी ने देशवासियों से आह्वान किया कि 125 करोड़ लोग अगर चाहें तो हिंदुस्‍तान को गंदा नहीं रहने देंगे और उनका आहवान अब असर दिखाने लगा है । हमारे समाज के अग्रणी एवं धनाडय लोगों ने भी स्‍वच्‍छता को एक मिशन बनाकर आम जन को इस ओर जागरुक किया है और हर जगह साफ सफाई के लिए स्‍वयं से पहल प्रारंभ की । यह एक अच्‍छी शुरुआत है । स्‍वच्‍छता मिशन के लिए की गई इस पहल का पूरे देश में स्‍वागत व सम्‍मान किया जाना चाहिए और ऐसा हुआ भी है । निश्चित ही इस महान कार्य के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी सम्‍मान एवं बधाई के पात्र हैं क्‍योंकि उन्‍होंने इस मसले को आमजन में लाकर एक जनअभियान का प्रारंभ किया है और यही कारण है कि पूरे देश में अब नदियॉं की पवित्रता की सोच को मंजिल मिलने का रास्‍ता भी लगभग बन रहा है केवल हमें उस पर चलना शेष है । हमारी नदियों में भी आज जहर बह रहा है । शुद्ध पीने का जल मिलना आज बहुत ही कठिन कार्य हो गया है ।

शहरों में रास्‍तों के किनारे, गलियॉं में, अस्‍पतालों में कचरा के ढेर मिलते हैं लेकिन जब से स्‍वच्‍छता जन आंदोलन के रुप में उभरा है तब से कचरे के ढेर कम जरुर हो गए हैं । आम जन अब यह समझने लगा है कि कचरा जहॉं वायु प्रदूषण का कार्य कर रहा है वहीं मानवीय जिंदगियों में जहर भी घोल रहा है । अब स्‍कूलों व विद्यालयों में विद्यार्थियों को भी स्‍वच्‍छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है और अब बच्‍चे अगर उनके अभिभावक घरों में इधर उधर कचरा फैंकते हैं तो वह उन्‍हें ऐसा करने पर टोकते जरुर हैं और इससे कचरा न करने की भावना अवश्‍य बलवती हो रही है ।

शहरों/अस्‍पतालों एवं अन्‍य निकायों के प्रशासन को भी सरकारों की तरफ से स्‍पष्‍ट निर्देश हैं कि वे यथासंभव अपने वेस्‍ट(कचरे) का निपटान ऐसे करें कि पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े । हमारे वैज्ञानिक ने भी कचरे से खाद बनाने की रणनीति तैयार कर ली है इससे कृषि को भी जैविक खाद मिलेगी और कृषि उत्‍पाद भी बिना रसायनों के अच्‍छी पैदावार दे सकेंगे । यह सत्‍य है कि देश के प्रत्‍येक नागरिक अपने कर्त्‍तव्‍यों का अनुपालन सही ढंग करेंगे तो निश्चित ही हम एक सुनहरे भविष्‍य की ओर आगे बढ़ेंगे। अभी हाल ही में सिक्किम में अखिल भारतीय कृषि मंत्रियों के सम्‍मेलन में बताया गया कि किस तरह सिक्किम के कृषकों ने अपनी मेहनत से जैविक खाद का उपयोग करके अपना कृषि उत्‍पादन एवं आमदनी में वृद्धि की है । हमारे प्रधानमंत्रीजी ने उनकी मुक्‍त कंठ से प्रशंसा की और आशा व्‍यक्ति की कि जैविक कृषि को पूरे देश में अपनाया जाना चाहिए ।

स्‍वच्‍छ वायु, स्‍वच्‍छ पर्यावरण एवं स्‍वचछ जल आज की मांग है । हम प्रगति के नाम पर जिस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों को दोहन कर रहे हैं उनका दुष्‍प्रभाव हमारे जीवन पर अवश्‍य ही पड़ने वाला है और यही कारण है कि आजकाल मौसम भी बेईमान हो रहे हैं और आवोहवा भी दूि‍षत हो रही है । नदियों पर बांध बनाना जल के प्राकृतिक यात्रा में व्‍यवधान डालना जैसा है । हमारी नदियॉं पूरे वर्ष सूखी रहती हैं और अगर उनमें पानी भी वहता है तो प्राय: गटर के पानी को छोड़ा जा रहा है । वर्षा भी होती है लेकिन उनके संग्रहण की कोई दीर्घकालीन व्‍यवस्‍था न होने के कारण हमें नदियों पर ही निर्भर रहता है । जब अधिक वर्षा होती है तो वाढ़ आती है और पानी समंदर में बेकार वह जाता है अगर इसे रोका जाए तो हमें वर्ष भर पानी मिल सकेगा । इस ओर भी हम सभी को अपने अपने स्‍तर पर विचार करना होगा और कोई दीर्घकालीन योजना पर अमल करना होगा ।

स्‍वच्‍छता हमारे जीवनयापन के लिए जरुरी है । हम जहॉं भी हैं चाहे वह कार्यक्षेत्र हो अथवा निवास स्‍थल हरेक जगह में स्‍वच्‍छता को अपनाना होगा । स्‍वच्‍छता हमारे जीवन का व्‍यवहार होना चाहिए अर्थात हमारी आदत बननी चाहिए तभी हम विश्‍व को एक स्‍वच्‍छ भारत दे सकेंगे और यही हमारा संकल्‍प है तथा नव वर्ष का लक्ष्‍य भी । आइए हम सभी मिलकर सामूहिक रुप से स्‍चछता को अपनाऍं और दूसरों को भी इस आंदोलन में जोड़कर भारत को एक स्‍वच्‍छ भारत बनाने में अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करें । जब हमारी नदियाँ शुद्ध जल के रुप में प्रवाहित होंगी उस दिन हमारी मानवता धन्‍य हो जाएगी ।

– राजीव सक्‍सेना

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh