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नया वर्ष : संकल्प वर्ष
यूँ तो जीवन में हर वर्ष एक नए वर्ष के रुप में आता है । नया वर्ष आते ही मन में यह सवाल पैदा होता है कि नया वर्ष कहीं दुखों से भरा न हो, इस संबंध में मन में अनेकों आशंकाऍं उभरती रहती हैं । समग्र रुप से देखा जाए तो प्राय मानव जीवन दु:ख एवं सुखों का संगम होता है । रोटी, कपड़ा और मकान मानव की प्राथमिक मांग होती है लेकिन जैसे जैसे मानव ने सभ्यता में कदम रखा, उसके विचार मुक्त आकाश में उड़ने लगे और उसकी महत्वाकांक्षा बिना रोक टोक के विचरण करने लगी, यही कारण है कि आज का शायद कोई मानव ऐसा मिलेगा जो कहेगा कि हॉं मैं वर्तमान जीवन से खुश हूँ अन्यथा अधिकतर लोग जीवन में दुखों का रोना रोते हैं । अगर गंभीरता से सोचा जाए तो यही दु:ख हमारे कल के सुख का आधार होते हैं क्योंकि दु:ख में ही मनुष्य कर्मशील बनता है और सुख उसे आलस्य से घेर लेता है ।
नव वर्ष प्रत्येक के लिए कुछ संकल्प निर्धारित करने का समय होता है और संकल्प निर्धारण के बाद ईमानदारी से उसे सफलता में परिणित करने के लिए इच्छा शक्ति एवं सघन प्रयत्न करना आवश्यक होता है । अधिकांश लोग अपने जीवन में लक्ष्य तो तय कर लेते हैं लेकिन उसी तीव्रता के साथ उसे प्राप्त करने का प्रयास नहीं कर पाते और बाद में असफलता ही हाथ लगती है । जीवन में सफल बनने के लिए स्वप्न देखना जरुरी है तथा उसे हकीकत में बदलना भी आवश्यक है तभी आप मन चाही मंजिल पा सकते हैं । कहा भी गया है कि फाइटर हमेशा जीतता है अर्थात उसका जुनून ही उसे जीतने के लिए मजबूर कर देता है । यही इच्छा शक्ति ही मनुष्य को देवता बना देती है ।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह जिस परिवार में जन्म लेता है और पलता है, उस परिवार के अपने मूल्य या नियम होते हैं और वह उनका पालन करना सीखता है । गलती करने पर उसे परिवार के सदस्य सचेत करते हैं तथा अच्छे कार्य करने पर उसे प्रोत्साहित किया जाता है । मॉं बाप ही बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं और प्रत्येक मॉं बाप चाहते हैं कि उसका बेटा या बेटी उसके परिवार को गौरव बढ़ाऍं अर्थात समाजोपयोगी कार्य कर एक कीर्ति स्थापित करें ।
शिक्षा ही व्यक्ति के जीवन को उपयोगी बनाती है । यह सत्य है कि आज का जीवन संघर्षशील होता जा रहा है । जीवन के मार्ग में रोड़े ज्यादा हैं, फूल कम । एक शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन के संघर्ष को कम कर उसे अपने व समाज के अनुकूल ही बना देता है और यही कार्य शिक्षा का होता है । शिक्षा ही जीवन में सप्तरंगी परिवेश का निर्माण करती है । आज हमारे समाज को तकनीकी अर्थात व्यावसायिक शिक्षा की जरुरत है और हमारी सरकारें अपने संसाधनों के अनुरुप इस दिशा में कार्य भी कर रही हैं लेकिन यह कार्य केवल सरकार ही नहीं कर सकती इस ओर निजी, सार्वजनिक एवं कॉपोरेट घरानों को आगे आना पड़ेगा और देश में बढ़ रही बेरोजगारों की फौज को समाप्त करना होगा यानीकि ऐसी व्यवस्था हो जिसमें कोई भी बेरोजगार न हो। सभी को अपनी अपनी योग्यता एवं दक्षता के हिसाब से रोजी रोटी मिलनी चाहिए । हालांकि यह बहुत कठिन कार्य है लेकिन असंभव नहीं । वर्तमान सरकार इस ओर काफी प्रभावी ढंग से आगे बढ़ रही हैं । विकास किसी पार्टी विशेष की धरोहर नहीं है यह समग्र क्षेत्र की अवधारणा होता है और बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के इसे आगे बढ़ाना चाहिए । इसके लिए एक मात्र रास्ता है वह है संकल्प का ।
वर्ष 2015 के हम साक्षी रहे हैं कि यह वर्ष भी मिला जुला असर दिखा कर रुखसत हो गया और आज हम वर्ष 2016 की खुली हवा में सांस ले रहे हैं निश्चित ही हम सभी ने अपने अपने लिए कुछ ना कुछ लक्ष्यों का निर्धारण अवश्य कर लिया होगा अगर नहीं किया है तो कृपया लक्ष्यों का निर्धारण अवश्य करें, क्योंकि अगर हमारे पास मंजिल ही नहीं होगी तो हम यात्रा किसकी करेंगे । नया वर्ष हम सभी को अपनी पुरानी गलतियों एवं कमियों को सुधारने का एक और मौका देता है । हम सभी और अधिक उत्साह व आशा के साथ अपनी कर्म यात्रा को आगे बढ़ाऍं । कहा भी गया है कि जहॉं चाह है वहॉं राह है । इसी उम्मीद के साथ कि नव वर्ष सभी पाठकों, मित्रों एवं परिजनों की आशाओं के अनुरुप खरी उतरे और हमारा देश एवं देशवासी विश्व में एक प्रेरणीय भारत की साख का निर्माण करें ।
एक बार पुन: नव वर्ष एवं नव संकल्पों की सफलता की शुभकामनाओंं सहित,
राजीव सक्सेना
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