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दक्षिण भारत – सौंदर्य का संगम

samras
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दक्षिण भारत -सौंदर्य का संगम

दक्षिण दर्शन की मन में आस लिए,

परिवार के साथ विकल हो तुरंत धाए ।

त्रिरुपति बालाजी धाम जा पहुँचे,

पर्वतश्रृंखला के सौंदर्य में रमते रमते ।

मंदिर प्रांगण में दर्शन हेतु अटके,

छह सात घंटों तक कैद में जकड़े ।

लम्‍बी लंबी कतार भूखे प्‍यासे भटके,

बालाजी के दर्शन भोर में ही चटके ।

तदुपरांत ट्रेन से हम रामेश्‍वरम आए

शीतल सागर तट में शरीर भिगोए।

गंदगी के मारे तट रहा भीड़ से प्‍यारा,

इक्‍कीस धामों के जल से पवित्र काया।

दर्शन हुए यहॉं भारी, व्‍यवस्‍था लाचारी,

राम की नगरी बनी है दुखों से भारी।

कन्‍याकुमारी की सुंदरता है मनोहारी,

मोटरवोट की यात्रा है कोतूहल वाली।

यात्राधाम बने हैं धन के  पुजारी,

मीनाक्षी टैम्‍पल है सौंदर्य का प्रहरी।

पैसे देकर शार्टकट से दर्शन अनेक

व्‍यवस्‍था का मजाक करता हरेक ।

कोलाम/गोवा का सागरतट है न्‍यारा

देशी/विदेशी पर्यटकों को अति भाता ।

शराब और दर्शन का खुला है नजारा,

ऊँची ऊँची लहरों खो जाता दुख सारा।

हरियाली ने यौवन फैलाया धरा सारी

तन, मन हर्ष से नाचा बन मयूरी प्‍यारा  ।

– राजीव सक्‍सेना

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