Menu
blogid : 22944 postid : 1101178

गोवा मचल रहा है ।

samras
samras
  • 23 Posts
  • 1 Comment

गोवा मचलता है ।

ये मानाकि गोवा, लहरों में बसा है,

गगनचुंबी पर्वत, सागर सा गहरा है ।

चारों तरफ हरियाली, दरिया मनोहारी है,

चांद और सूरज मिलन को बेताव है।

चांद सी प्रेयसी लहरों में विचरती है,

प्‍यार के सागर में किनारे चूम रही है ।

आनंद और विलासता की पराकाष्‍ठा  है,

हर तरफ तन मन खुशी से झूम रहा है ।

हाथों में हाथ डाले लवों पे जाम है,

शॉटकट ड्रेसों में, प्‍यार रम रहा है ।

शांति की ऊँची हिलोरे उठ रही हैं,

दुख और दर्द परे मन बहक रहा है।

निशा के आगोश में जब दिन समाता है,

संगीत की धुनों पर तब सुरा मुस्‍कुराती है ।

खाओ, पियो, मौज करो बस यही धारणा है,

देशी, विदेशियों के दिलों में गोवा मचलता है ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh