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समय प्रबंधन: विकास का सोपान है ।

samras
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समय प्रबंधन: विकास का सोपान है । 

मानव जीवन में समय प्रबंधन का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है । बालकाल से ही बच्‍चे के मन पर माता द्वारा समय प्रबंधन के बीज को रोपा जाता है। जो बच्‍चे अपने बचपन से ही समय प्रबंधन को प्राथमिकता देते हैं, वे परिवार व समाज के लिए बहुमूल्‍य बन जाते      हैं । इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि महानपुरुषों के जीवन में समय प्रबंधन सर्वोपरि रहा है  और वे समाज के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभात रहे हैं । महात्‍मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरु व आज के श्री नरेंद्र भाई मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, ने समाज में अपनी विशिष्‍ट छाप बनाने में कामयाबी हासिल की है । अत: हर काम को निश्चित समय में पूरा किया जाए और यही गुण शेष जीवन में मील का पत्‍थर साबित होता है ।

 हमारे मुनियों, ऋषियों ने भी मानव जीवन में इसी समय प्रबंधन को मान्‍यता दी और ये थे – बह्मचर्य, गृहस्‍थ ,वानप्रथ एवं संन्‍यास  । पूरा मानव जीवन इसी के इर्दगर्द घूमा करता था । आज का युग तकनीकी एवं आधुनिकता का है । समय के साथ साथ जीवन शैली में भी बदलाव आया । खाने-पीने, घूमने व सोने का एक समय निश्चित किया गया जिसमें परिवर्तन आया है । चूँकि आधुनिकता की दौड़ में मानव की महत्‍वाकांक्षाऍं दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ती गई । आज हमारे पास कार, बंगला एवं ऐशोआराम के सभी संभावित संसाधन हैं फिर भी हम कहीं न कहीं असंतुष्‍ट हैं, खुश नहीं हैं । शायद हमने इस ओर कभी सोचा भी नहीं कि हमारे पूर्वजों ने अपना पूरा जीवन गरीबी व विपुलता में गुजार दिया तथापि वे अपने जीवन से संतुष्‍ट थे। किंतु आज हम कहीं न कहीं मूल्‍यों के विपरीत जाकर जीवन यापन कर रहे हैं । जो भी हमारे पास है हम उससे संतुष्‍ट नहीं है और जो नहीं है उसे पाने के लिए बेताव हो रहे हैं ।

 मानव जीवन को साधारणत: दो भागों में विभक्‍त किया जा सकता है पहला है भौतिक और दूसरा है आध्‍यात्‍म । ये दोनों ही समय प्रबंधन को प्रभावी बनाते रहते हैं । जो व्‍यक्ति अपने जीवन को समय प्रबंधन से बांधते हैं वे हरेक क्षेत्र में सफल होते हैं क्‍योंकि उनका सभी क्षेत्रों पर समान अधिकार होता है । जहॉं तक भौतिक जीवन का प्रश्‍न है उसका कोई सर्वमान्‍य अंत नहीं होता । मानवीय इच्‍छाऍं अनेक होती है । एक पूरी होती नहीं कि दूसरी तुरंत आकर खड़ी हो जाती है । जबकि आध्‍यात्‍म सदैव हर हालात में हमें खुश रहना सिखाता है । आत्‍मा का परमात्‍मा से मिलन ही इसी परिणति होती है और यही इसकी सुखांति होती है।

 समय प्रबंधन पूरे जीवन को प्रभावित करता है । विद्यार्थी जीवन से लेकर सेवानिवृत्ति जीवन तक समय प्रबंधन अपनी प्रभावकारिता को दृष्टिगोचर कराता है ।सामाजिक प्राणी होने के नाते हम सभी को अपने अपने जीवन में समय प्रबंधन को अपनाना चाहिए । संतुलित समय प्रबंधन ही विकास के सोपानों का स्‍पर्श कराते हैं और तनाव व निराशा को दूर भगाता है ।

 प्रत्‍येक व्‍यक्ति को अपने लक्ष्‍य निर्धारित करते समय अपनी सीमाओं, दक्षताओं पर अवश्‍य ही दृष्टिपात करना चाहिए । हर व्‍यक्ति की अपनी अपनी सीमाएं, संसाधन एवं पारिवारिक पृष्‍ठभूमि होती है । जो व्‍यक्ति अपनी समग्र शक्तियों का आकलन कर लक्ष्‍य निर्धारित कर उसे पाने के लिए प्रयास करता है, जीवन में वही सफल होता है । आज का मानव तनाव व निराशा से जूझ रहा है जोकि हमारे अस्तित्‍व के लिए एक खतरे की घंटी है । हमें अभी चेतना होगा अन्‍यथा काफी देर हो जाएगी ।

राजीव सक्‍सेना

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