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लोकतंत्र की आशा, राजतंत्र की भाषा,प्यारी प्यारी अपनी हिंदी हमसब की है भाषा,
हैलो हॉय ओके टाटा मिले दान में,पिताश्री हुए डैड,मम्मी बनी है मॉम इंग्िलश।
शिक्षित, अच्छी नौकरी, वैभव की चाह, रोजी रोटी से जुड़े, विकास की भरे आह,
आजादी है आजादी,यह है कैसी आजादी, नहीं मिली अब तक देश को वाणी।
हिंदी दिवस पर लेते हैं प्रतिज्ञा और संकल्प भारी, शब्दों में उलझी है प्यारी,
कार्यालयों में हाशिए पर रहती हिंदी प्यारी, छाई रहती है अंग्रेजी दुलारी।
स्वाभिमान व राष्ट्र पहचान का भाव जब तक हममें नहीं पनपेगा,
राजभाषा का गौरव तब तक हम देशवासियों में नहीं उभरेगा ।
पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण भिन्न भिन्न भाषाओं का है संगम,
धर्म अनेक, जातियॉं हैं भिन्न, संपर्क भाषा है हिंदी है हमारे अंग ।
आओ हम सब मिलकर प्रेमभाव से राष्ट्री में हिंद को सजाऍं,
जन गण में, मन तन में हिंदी को अंगीकार कर धर्म निभाऍं ।
जब हिंदी निर्विवाद रुप से बोली, लिखी एवं पढ़ी जाएगी,
देशवासियों के रोम रोम में रम जाएगी और बस जाएगी ।
निश्चित ही संयुक्त राष्ट्र की भाषाओं में हिंदी स्वत: जुड़़ जाएगी,
और पूरे विश्व फलक पर हिंदी ही हिंदी हो जाएगी ।
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